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काले मेघा! काले मेघा ! इतना क्यूँ तरसाए ?

अमृत-कलश
अमृत-कलश
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काले मेघा! काले मेघा ! इतना क्यूँ तरसाए ?
बहुत हुई अब देर सही, पर अब क्यूँ न बरसे हाय !
गरमी से परेशां जनता सब बोले हाय!! हाय!!

काले मेघा बोले तब तू( जनता) क्यूँ न पेड़ लगाये?
जब बारिश की इतनी आस तो क्यूँ प्रदुषण फैलाये?
जहाँ देखो वहां, तू पेड़ ही पेड़ कटवाए!
फिर हमसे पूछे, हम क्यूँ न बरसे हाय!

इसे बात पर चलो दोस्तों, हम सब पेड़ लगाये !
दुर्घटना से देर भली, पर अब तो चेत जाएँ!!
इस धरती को स्वर्ग बनाने के प्रयास में जुट जाये!!
आओ सब मिल जुल कर एक बेहतर भविष्य बनायें !!

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